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Saturday, October 13, 2018

दुनिया से मैं हारा हु तकदीर का मारा हु, जैसा भी हु अपना लो मैं बालक तुम्हारा हु, duniya se me hara hu takdeer ka mara hu jesa bhi hu sonali mein balak tumhara hu

दुनिया से मैं हारा हु तकदीर का मारा हु,
जैसा भी हु अपना लो मैं बालक तुम्हारा हु
,

पापो की गठरी ले फिरता मारा मारा,
नही मिलती है मंजिल नही मिलता किनारा,
नहीं कोई ठिकाना है मैं तो बेसहारा हु,
जैसा भी हु अपना लो मैं..........

दुनिया से जो माँगा है मिलती रुसवाई है,
तेरे दर पे सुनते है होती सुनवाई है,
दुःख दूर करो मेरे मैं भी दुखाराया हु,
जैसा भी हु अपना लो मैं..........

कोशिश करते करते नही नाव चला पाया,
आखिर में थक करके तेरे दवार पे हु आया,
इस श्याम को तारो गे तुझे दिल से पुकारा हु,
जैसा भी हु अपना लो मैं..........

अपनो के सभी रिश्ते फ़िके पड़ जाते है,
जब जेब से पेसो के पत्ते झड़ जाते है,
मतलब से सभी माधव यहां रिशते निभाते है,
जैसा भी हु अपना लो मैं..........

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